बुधवार 20 अगस्त 2025 - 15:04
इंटरव्यूः अरबईन हुसैनी के रास्ते में अंतर्राष्ट्रीय तिलावत ए कुरान, मकतब ए अहले बैत (अ) का व्यावहारिक संदेश और संवाद

हौज़ा / खुरासान रिज़वी के एक भाषाविद तालिबे इल्म ने कहा, अर्बईन ए हुसैनी, दुनिया को क़ुरआन और इतरत से परिचित कराने का एक स्वर्णिम अवसर है यदि अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में निपुण तालिबे इल्म क़ुरआनी केंद्रित प्रचार के क्षेत्र में उतरें तो इस्लामी क्रांति अपना संदेश वैश्विक स्तर तक पहुँचा सकती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद बाकिर रजबी, हाफ़िज़ ए कुले कुरआन और खुरासान के भाषाविद तालिबे इल्म ने हौज़ा न्यूज एजेंसी के प्रतिनिधि से बातचीत में अपनी कुरआनी और प्रचार संबंधी सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा,अल्हम्दुलिल्लाह, मैं कई वर्षों से तिलावत कुरआन, तफ़्सीर (व्याख्या) और कुरआन के मआरिफ़ के प्रचार में व्यस्त हूं और अपनी भाषाई क्षमताओं का उपयोग करते हुए मुख्य ध्यान दिव्य संदेश को अंतरराष्ट्रीय श्रोताओं तक पहुँचाने पर केंद्रित रखा है।

उन्होंने कहा, मैंने हमेशा यह कोशिश की है कि तिलावत के साथ-साथ तफ़्सीर को भी शामिल करूं, विशेष रूप से अहले बैत अ.स.की सीरत के जीवंत उदाहरणों के माध्यम से, ताकि श्रोताओं के मन में मकतब-ए-तशय्यो (शिया मत) की सच्चाई स्पष्ट हो।

इस भाषाविद तालिब ए इल्म ने अपनी अर्बईन-ए-हुसैनी की गतिविधियों के बारे में बात करते हुए कहा, कुछ इराकी लोक मवाकिब के निमंत्रण और इराक में मौजूद कुछ ईरानी सांस्कृतिक केंद्रों जैसे हौज़ात-ए-इल्मिया से जुड़े संस्थानों के समन्वय से नजफ से कर्बला के रास्ते में तिलावत और भाषणों का आयोजन किया।

मेरे भाषण का मुख्य केंद्र अहले बैत अ.स. से संबंधित आयतों की तफ़्सीर और दुश्मन के बौद्धिक आक्रमण के मुकाबले में इस्लामी एकता की आवश्यकता पर जोर देना था।

उन्होंने आगे कहा,पवित्र दरगाह इमाम हुसैन अ.स. और हज़रत अब्बास अ.स. की दरगाह में भी कुरआन की तिलावत की तौफ़ीक़ मिली और यह पाठ विभिन्न राष्ट्रीयताओं और धर्मों के ज़ायरीन तीर्थयात्रियों के भरपूर स्वागत का कारण बनी। यह स्वागत इस बात की स्पष्ट सबूत है कि कुरआन मुसलमानों के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की अद्वितीय क्षमता रखता है।

हुज्जतुल इस्लाम रजबी ने अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में निपुण तालिबे इल्म को सलाह देते हुए कहा, भाषा सीखने को कुरआनी और रिवायती ज्ञान के साथ जोड़ना अहले बैत (अ.स.) के संदेश के प्रसार का एक अत्यंत प्रभावी साधन है। तालिब ए इल्म को चाहिए कि अनुवाद कौशल के साथ-साथ वक्तृत्व कला और विदेशी भाषाओं में कुरआन के धाराप्रवाह पाठ पर भी महारत हासिल करें।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha